Tuesday, October 12, 2021

अनुक्रम :anukram

आलोकपर्व प्रकाशन, 1/6588, 5-ईस्ट रोहतास नगर, नई दिल्ली--110032, फोन 011-22328142 इस पुस्तक के लेखों का अनुक्रम यों है १.चिरपरिचित कौआ २.कौआ और कोयल चील की चाल लूटना भारद्वाज को सयानी मैना गरुड हमारा दोस्त टोट दीमक रानी कीटक छंद एक मेहमान अचानक एक असहाय मगर की मृत्युगाथा मेरी रानी की कहानी सोनू एक राजहंस

Suvarna Panchhi, my personal experiences with birds

Suvarna Panchhi is my book on my very personal and deep experiences with birds, animals plants, their capacity to give you love and solace. Book is available both in Hindi and Marathi ( Sona Denare Pakshi). The Hindi stories are available on audio CD and You Tube too. Here is the Index of the book आलोकपर्व प्रकाशन, 1/6588, 5-ईस्ट रोहतास नगर, नई दिल्ली--110032, फोन 011-22328142 ०१.चिरपरिचित कौआ ०२.नाता- कोयल और कौवेका ०३.चीलकी चाल ०४.सयानी मैन रानीा ०५.गरुडका बचाव ०६.लूटना भारद्वाजको ०७.कौवोंकी सामाजिक भावना ०८.चिड़ियों का वीडियो ०९.मेरी रानी की कहानी १०.हमारा दोस्त टोटो -१ १०.हमारा दोस्त टोटो -२ १०.हमारा दोस्त टोटो -३ १०.हमारा दोस्त टोटो -४ १०.हमारा दोस्त टोटो -५ १०.हमारा दोस्त टोटो -६ १०.हमारा दोस्त टोटो -७ ११.सोनू एक राजहंस १२.आता है ऋतुराज १३.मयूरपंखी यादगार १४.एक मेहमान अचानक १५.सेमल से मुलाकात १६.ना हो पिंजरा किसीके लिए १७.चिंगी-डेनिस १८.कीटक छंद १ दीमक रानी १९.कीटक छंद २ रेशम कीड़ेकी बात २०.कीटक छंद ३ टोकरीमें सुरवंट २१.कीटक छंद ४ कीट-पतंगे २२.एक असहाय मगरकी मृत्युगाथा २३. सुवर्ण पंछी

Wednesday, October 9, 2013

सुवर्ण पंछी -- भूमिका

सुवर्ण पंछी -- भूमिका 
ये जरूरी नहीं कि इसांन जो महसूस करे उसे औरों को बताए। खुद से रिश्ता बड़ा मजबूत और बेजोड़ होता है। कुछ बातें वे केवल स्वयं से करता है और किसी से नहीं, कुछ स्वयं से ही छुपाता है सच्चाई जानते हुए भी और कुछ घटनाएं उसके जीवन में ऐसी घटती है जो वह सबको बताना चाहता है ताकि लोग उसे सुने और अपनी राय कायम करे क्योंकि सुखद घटनाएं सबको बताने से सुख बढ़ता है। जब दिल में कोई बात हो तो उसे बताने से या कहने से सुकुन मिलता है। कुछ कहने से ही पता चलता है कि आप के विचार कैसे है। आप किसी व्यक्ति विशेष एवं वस्तु विशेष के विषय में क्या सोचते है। मैं भी अपने जिंदगी के कुछ अच्छे बुरे पहलु सब के साथ बांटना चाहती थी। जिस प्रयास का नाम है सुवर्णपंछी।

सुवर्णपंछी जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि यह मेरे पशु-पक्षी प्रेम एवं उनके प्रति संवेदना को प्रकट करती है। पशु-पक्षी कितने कोमल एवं प्यारे होते है इस बात का ज्ञान मुझे उन्हें पालने के बाद ही पता चला। यो कि औरत शादी के बाद अपने पति की पसंद को प्राथमिकता देती है क्योंकि वो जिदंगी का सबसे महत्वपूर्ण अंग बन जाता है, तो मैंने भी वही किया। मेरे पति प्रकाश को भी मेरे तरह पशु-पक्षी पालने का शौक था तो इस तरह मेरी और उनकी पसंद एक हो गई। इसलिए पशु-पक्षी पालने में ज्यादा समस्या नहीं आई।

मैंने आई एस की परीक्षा अच्छे नम्बरों से उतीर्ण की और आई एस अफसर बन गई। चूंकि मैं भारतीय प्रशासनिक सेवा से जुड़ी थी इसलिए मेरी नौकरी में बार- बार तबादले होते थे। मुझे पशु-पक्षियों से प्रेम है इसका अहसास मुझे तब हुआ जब मेरी पोस्टिंग पुणे में हुई और हमने यानि मैंने और प्रकाश ने एक अलसेशियन कुत्ता 'टोटो' पाला। उसके साथ ऐसी दोस्ती कायम हुई कि उसे शब्दों में व्यक्त कर पाना कठिन है। टोटो हमारे परिवार का हिस्सा बन गया। टोटो इतना अनुशासित एवं प्यारा कुत्ता था कि हमारे आस-पड़ोस के लोगों ने हमें टोटो का माता-पिता बना दिया। उसके मरने के बाद प्रकाश और मेरे जीवन में एक खालीपन सा गया। टोटो के जाने के बाद हमारे घर में कई पशु-पक्षी आए परन्तु टोटो के साथ जो रिश्ता कायम हुआ था वह किसी के साथ नहीं बन सका। १९८३ में